जनित्र (Generator)
 

1. यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने वाली मशीन, जनित्र कहलाती है। 

2. यदि जनित्र डी. सी. (Direct Current) पैदा करती है तो डी. सी. जनित्र तथा ए. सी. (Alternating Current) पैदा करती है तो अल्टरनेटर

    (Alternator) कहलाती है।

3. छोटे आकार के डी. सी. जनित्र को डायनेमो (Dynamo) कहते हैं।

4. डी.सी. जनित्र या डायनेमो, फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सिद्धांत पर आधारित होता है। इस सिद्धांत के अनुसार “यदि किसी चालक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र   में इस प्रकार गतिमान किया जाए कि उसकी गति से चुम्बकीय बल रेखाओं का छेदन होता हो तो उस चालक में वि.वा. बल (emf) उत्पन्न होता है। 

5. जिस विधि से डी.सी. जनित्र में वि.वा. बल पैदा होता है, वह गतिज कहलाती है।

 

फ्लेमिंग का दायाँ हस्त नियम (Fleming's Right Hand Rule) 

इस नियम के अनुसार हम किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान चालक में पैदा होने वाले वि. वा. बल की दिशा ज्ञात करते हैं। "यदि दाएँ हाथ की प्रथम दो ऊँगलियों तथा अँगूठे को परस्पर समकोण बनाते हुए इस प्रकार फैलाया जाए कि अँगूठा चालक की गति दिशा एवं पहली ऊँगली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को इंगित करे तो दूसरी (बीच की) ऊँगली उस चलाक में प्रेरित वि. वा. बल की दिशा को इंगित करेगी। "

State Fleming's right-hand rule

D.C. जनित्र के मुख्य भाग

 

 बॉडी (Body)

1. मशीन के बाह्य भाग को बॉडी या योक (yoke) कहते हैं। 

2. यह कास्ट आयरन अथवा कास्ट स्टील से बनाई जाती है। 

3. यह मशीन के सभी भागों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ चुम्बकीय बल रेखाओं के लिए पथ प्रदान करती है। 

What Is the Principle of DC Generator? 

 

फील्ड पोल (Field Pole)

1. इनका मुख्य कार्य चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करना होता है। 

2. फील्ड पोल्स की न्यूनतम संख्या 2 होती है तथा सामान्यतः अधिकतम संख्या 8 होती है। 

3. ये लेमिनेटेड कास्ट- स्टील अथवा एनील्ड स्टील annealed steel) से बनाए जाते है। 

Construction of a DC Generator - explanation of its various parts - Circuit  Globe

 

     आर्मेचर (Armature)
 1. यह एक वेलनाकार भाग है जो सिलिकॉन स्टील की पत्तियों (Laminated) को एक साथ रिवेट करके बनाया जाता है। 

2. आर्मेचर कोर के लेमिनेटेड होने से उनमें हिस्टैरेसिस क्षति तथा एडी धारा क्षति कम होती है।

3. आर्मेचर में आर्मेचर क्वॉयल्स स्थापित करने के लिए स्लॉट कटे होते हैं। 

4. आर्मेचर का मुख्य कार्य चुम्बकीय फ्लक्स का छेदन करके उसमें स्थापित आर्मेचर वाइडिंग्स में वि.वा. बल उत्पन्न करना होता है।

5. समान्यतः आर्मेचर प्रतिरोध का मान 1 ओम होता है।
6. यह डी.सी. जनित्र के घूमने वाले भाग (shalt) पर स्थापित किया जाता है।

7. आर्मेचर में मुख्यतः दो प्रकार से वाइंडिंग की जा सकती है: 

      (a) Lap winding (b) Wave winding

8.  Lap winding में समांतर पथों की संख्या, पोल्स की संख्या के बराबर तथा wave binding में 2 होती है।

9. Lap winding Voltage का मान कम होता है। इसमें एक दूसरे के समांतर बहुत सा परिपथ होने के से Resistance बहुत कम हो जाता है जिससे       current अधिक होता है।

           EMF = ब्रशों की संख्या/पथों की सख्या
 

10. Wave winding current का मान बहुत कम होता है। 

11. जहाँ अधिक Voltage की आवश्यकता होती है वहाँ wave winding का प्रयोग करते हैं।

12. अगर आर्मेचर को स्लिप रिंग से जोड दिया जाय तो यह अल्टरनेटिंगकरंट देगा। 

13. अगर आर्मेचर को कम्यूटेटर के साथ जोड़ा जाय तो यह D. C. करंट देगा।

14. मशीन के ध्रुवों की समान संख्या के लिए, lap winding की तुलना में बेब वाइंडिंग में उत्पन्न वि.वा. बल अधिक होगा।

दिष्ट धारा जनित्र (DC generator)
 

 दिक् परिवर्तक (Commutator)

1. कम्यूटेटर सिगमेन्ट के बीच माइका इन्सूलेशन लगा होता है। 

2. क्वाइल के सिरों को कम्यूटेटर सेगमेंट पर जोड़ने की प्रक्रिया को कम्यूटेटर सेक्शन कहते हैं। 

3. यह हार्ड ड्रान (hard drawn) ताँबे की मोटी पत्तियों (segments) को बैकेलाइट के आधार पर कस कर बनाया जाता है।

4. पत्तियों (segments) के बीच में अभ्रक (mica) भरा रहता है।

5. कम्यूटेटर को आर्मेचर शाफ्ट पर स्थापित किया जाता है। इसका मुख्य कार्य आर्मेचर क्वॉयल्स में उत्पन्न वि.वा. बल को डी.सी. के रूप में प्रदान करना।

6. इसे खंडित वलय (split ring) भी कहते हैं। 

7. स्पार्किंग रहित कम्यूटेशन प्राप्त करने के लिए कार्बन ब्रश और इन्टरपोल्स के साथ साथ कम्पैसेटिंग वाइंडिंग का प्रयोग भी किया जाता है।

What is a Commutator - Working, Advantages & Applications
 

ब्रश ( Brush)


1. यह कार्बन का बना होता है। बड़ी क्षमता के जनित्र में ब्रश, ताँबा और कार्बन के मिश्रण का बना होता है। 

2. कार्बन के बने ब्रश नर्म और स्व-ल्युब्रिकेटींग होते है तथा उनका तापमान गुणांक ऋणात्मक होता है।

3. ब्रश के द्वारा ही current बाहरी परिपथ को भेजा जाता है। 

4. उच्चतम क्षमता प्राप्त करने के लिए ब्रशों को चुम्बकीय उदासीन अक्ष पर होना चाहिए। 

5. कार्बन व्रशों का धारा घनत्व (Current density) 5amp/sq.mtr रखा जाता है।

6. यदि लोड करंट बढ़ जाए तो ब्रशेज (Brushes) का वोल्टेज ड्राप बंद हो जायेगा।

7. ब्रुश और कम्यूटेटर की सहायता से एकदिशीय आघूर्ण प्राप्त किया जाता है।