TRANSFORMER

ट्रांसफार्मर एक स्थैतिक युक्ति है जो वोल्टेज को निम्न स्तर से उच्च स्तर या उच्च स्तर से निम्न स्तर में परिवर्तित करती है। 

यह केवल A. C. पर कार्य करता है D.C. पर नहीं।

यह फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।

यह A.C. के शक्ति तथा आवृत्ति को नहीं बदलता है। 

अगर d.c. supply दी जाए तो वाइंडिंग (winding) जल जायेगी। 

बहुत अच्छे ट्रांसफार्मर की दक्षता 95-99% तक होती है। 

ट्रांसफार्मर की दक्षता या रेटिंग KVA (Kilo Volt Ampere) में व्यक्त की जाती है। 

ये विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के दोनों युक्ति स्व-प्रेरण तथा अन्योन्य प्रेरण (self induction and mutual induction) पर कार्य करने वाले होते हैं।

                      What is a Transformer

 
ट्रांसफार्मर के भाग (Parts of Transformer) :

1. क्रोड (Core)

इसका उद्देश्य फ्लक्स को आसान रास्ता प्रदान करना है तथा इस पर ही वाइंडिंग (winding) की जाती है।

यह परतदार सिलिकॉन इस्पात (Silicon Steel) का बना होता है, जिसकी चुम्बकशीलता उच्च होती है जिसके कारण एडी करेन्ट (Eddy current) व हिस्टेरेसिस क्षति कम होती है। 

इसके लैमिनेशन की मोटाई 0.25 - 0.5mm होती है।
 

प्राथमिक कुंडली (Primary Winding) :

यह ताँबे का बना होता है।

यह स्रोत (Source) से जुड़ा होता है।
 

द्वितीयक कुंडली (Secondary Winding ) :

यह भी ताँबे का ही बना होता है।

यह लोड (Load) से जुड़ा होता है।

                                      primary and secondary windings

2. कन्जरवेटर (Conservator) :

यह एक छोटा तेल टैंक (oil tank) है जो मुख्य तेल टैंक के ऊपर होता है।

इसमें लगभग आधे स्तर तक तेल भरा जाता है।
मुख्य टैंक में तेल के स्तर को बनाए रखना।

तेल का तापमान बढ़ने से उसके आयतन में होने वाले फैलाव को स्थान देना।

इसलिए इसे एक्सपैंसन टैंक (Expansion Tank) भी कहा जाता है। 

जब तेल ठंडा होकर सिकुड़ता है तो उस समय कन्जरवेटर, मुख्य टैंक को तेल की आपूर्ति करता है।

वाइंडिंग (winding) में पैदा होने वाले उष्मा के कारण तेल का तापमान 20°C से 95°C तक परिवर्तित होता है।

3. बकोल्ज रिले (Buchholz Relay ) 

यह ट्रांसफार्मर में आंतरिक दोष उत्पन्न हो जाने पर एक अलार्म बजाकर सूचना देता है और साथ ही साथ ट्रांसफार्मर को स्रोत से अलग भी कर देता है।

आसान रास्ता प्रदान करना है तथा इस पर ही जाती है।

यह एक स्वचलित circuit breaker की तरह कार्य करता है। 

यह कन्जरवेटर और मेन टैंक को जोड़ने वाली पाइप में लगा होता है। 

इसमें दो फ्लोट (float) तथा दो मरकरी स्विच भी होते हैं।

                                     What is Buchholz Relay? - Definition, Construction, Working Principle
 

4. मुख्य टैंक (Main Tank)

 ये का मुख्य टैंक होता है। 

इसमें ही तेल भरा होता है, जिसमें क्रोड तथा उस पर लपेटी हुई वाइंडिंग डुबोई होती है।  

MAIN TANK OF TRANSFORMER

 
5. बीदर (Breather) :

जब ट्रांसला होकर सिकड़ता है तो कन्जरवेटर के रिक्त हुए स्थान की पूर्ति वायुमण्डल की वायु से होता है। यह क्रिया श्वास लेना (Breathing) कहलाती है। कन्जरवेटर में जब बीदर से वायु प्रवेश करता है तो उससे होकर नमी भी प्रवेश कर सकती है जिसे रोकने के लिए breather में कैल्शियम क्लोराइड (CaCl2) या सिलिका जेल भरा होता है जो नमी को सोख लेता है।

शुष्क अवस्था में सिलिका जेल का रंग नीला होता है। लेकिन नमी सोखने के बाद बैंगनी (violet) तथा फिर गुलाबी (pink) हो जाता है। गुलाबी रंग प्रदर्शित करता है कि नमी सोखने की क्षमता समाप्त हो गई है। 

दुबारा प्रयोग करने के लिए उसे 150 से 200°C तक ताप पर पका कर प्रयोग किया जाता है। 

                                Silica Gel Breather of Transformer

6. एक्सप्लोजन वेन्ट (Explosion Vent) : 

इसे Pressure release valve भी कहते हैं। 

यदि ट्रांसफार्मर तेल का दबाव बहुत अधिक बढ़ जाए तो Explosion vent का डायफ्राम टूट जाता है और अतिरिक्त दाब बाहर निकल जाता है।

7. ट्रांसफार्मर तेल (Transformer Oil) :
 

ट्रांसफार्मर में होने वाले क्षति के कारण उत्पन्न उष्मा को कम करने के लिए इसे प्रवेग करते हैं।

इसका प्रयोग इन्सुलेशन एवं शीतलन के रूप में होता है। अच्छे ट्रांसफार्मर तेल में निम्न गुण होते हैं :

→ अचालकता → उच्च विशिष्ट उष्मा एवं उच्च ज्वलन बिंदु

→ निम्न श्यानता एवं कम नमी सोखने वाला

यह दो प्रकार का होता है : Mineral Oil (खनिज तेल) एवं सिन्थेटिक तेल (Synthetic Oil)

खनिज तेल पेट्रोलियम के शोधन से प्राप्त होता है जबकि सिन्थेटिक तेल silicon तथा hydrocarbon का मिश्रण होता है।  

8. बुसिंग (Bushing) :

ट्रांसफार्मर में Bushing, ट्रांसफार्मर के बाहर निकलने वाले तार को ढकने के लिए प्रयोग करते हैं। 

High Voltage Winding की तरफ Bushing की लंबाई अधिक होती है।

Low Voltge Winding की तरफ Busing की लम्बाई कम होती है। 

Voltage के आधार पर इसकी size का निर्धारण किया जाता है।